Aankhon Se Yun Aansoo Dhalke Sagar Se Jaise Mai Chalke.
आँखों से यूँ आँसू ढ़लके,
सागर से जैसे मै छलके ।
हम समझे मफ़हुम-ए-बहाराँ,
कोई आया भेष बदल के ।
काश बता सकते परवाने,
क्या खोया क्या पाया जल के ।
मन्ज़िल तक वो क्या पहुँचाए,
जिसने देखी राह ना चल के ।
सागर से जैसे मै छलके ।
हम समझे मफ़हुम-ए-बहाराँ,
कोई आया भेष बदल के ।
काश बता सकते परवाने,
क्या खोया क्या पाया जल के ।
मन्ज़िल तक वो क्या पहुँचाए,
जिसने देखी राह ना चल के ।
- Kunwar Mahendra Singh Bedi 'Sahar'.
- Jagjit Singh.