Ab Ke Baras Bhi Woh Nahiin Aaye Bahar Mein Guzarega.
अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में,
गुज़रेगा और एक बरस इन्तज़ार में ।
ये आग इश्क़ की है बुझाने से क्या बुझे,
दिल तेरे बस में है ना मेरे इख़्तियार में ।
है टूटे दिल में तेरी मोहब्बत तेरा ख़याल,
खुश-रंग है बहार जो गुज़री बहार में ।
आँसू नहीं है आँखों में लेकिन तेरे बग़ैर,
तूफान छुपे हुए हैं दिल-ए-बेक़रार में ।
गुज़रेगा और एक बरस इन्तज़ार में ।
ये आग इश्क़ की है बुझाने से क्या बुझे,
दिल तेरे बस में है ना मेरे इख़्तियार में ।
है टूटे दिल में तेरी मोहब्बत तेरा ख़याल,
खुश-रंग है बहार जो गुज़री बहार में ।
आँसू नहीं है आँखों में लेकिन तेरे बग़ैर,
तूफान छुपे हुए हैं दिल-ए-बेक़रार में ।
- Payaam Saeedi.
- Chitra Singh.