Woh Nahin Milta Mujhe Iska Gila Apni Jagah Uske Mere.
वो नहीं मिलता मुझे इसका गिला अपनी जगह,
उसके मेरे दरमियाँ का फ़ासिला अपनी जगह ।
ज़िन्दगी के इस सफ़र में सैकड़ों चेहरे मिले,
दिल-कशी उनकी अलग पैकर तेरा अपनी जगह ।
तुझसे मिल कर आने वाले कल से नफ़रत मोल ली,
अब कभी तुझसे ना बिछडूँ ये दुआ अपनी जगह ।
एक मुसलसल दौड़ में है मंज़िलें और फ़ासिले,
पाँव तो अपनी जगह है रास्ता अपनी जगह ।
उसके मेरे दरमियाँ का फ़ासिला अपनी जगह ।
ज़िन्दगी के इस सफ़र में सैकड़ों चेहरे मिले,
दिल-कशी उनकी अलग पैकर तेरा अपनी जगह ।
तुझसे मिल कर आने वाले कल से नफ़रत मोल ली,
अब कभी तुझसे ना बिछडूँ ये दुआ अपनी जगह ।
एक मुसलसल दौड़ में है मंज़िलें और फ़ासिले,
पाँव तो अपनी जगह है रास्ता अपनी जगह ।
- Iftikar Imam Siddiqi.
- Chitra Singh.