Raat Ghatayee Jadoo Khushboo Jiski Zulfon Ke Paigaam.

रात घटायें जादू खुश्बू, जिसकी ज़ुल्फ़ों के पैगाम,
दिल के बरक पर ढूँढ रहा हूँ, उस सादा चेहरे का नाम ।

तूने पहले देखा था, या मैंने अब ये याद नहीं,
सोच रहा हूँ किसको दूँ मैं, दिल की तबाही का इल्ज़ाम ।

बिक जायेंगे बाज़ार में हम भी, लेकिन उससे क्या होगा,
जिस क़ीमत पर तुम मिलते हो, उतने कहाँ है अपने दाम ।

तेरे मेरे बीच में कितनी, दीवारें हैं फिर भी तो,
मेरी आँखें सुन लेती है, तेरी आँखों के पैगाम ।

हम भी कुछ नादान थे यारों, कितने ख़्वाब सजा बैठे,
वक़्त भला क्या देता हमको, वक़्त को अपने काम से काम ।

जलती बुझती यादें लेकर, जब मुझसे मिलती है शाम,
अक्सर दिल की दीवारों पर, लिख देता हूँ तेरा नाम ।
  • Jagjit Singh.