Madiney Ko Jayein Ye Jee Chahta Hai Muqaddar Banaye.
मदीने को जायें ये जी चाहता है,
मुक़द्दर बनायें ये जी चाहता है ।
मदीने के आका दो आलम के मौला,
तेरे पास आयें ये जी चाहता है ।
जहाँ दोनो आलम हैं महर-ए-तमन्ना,
वहाँ सर झुकायें ये जी चाहता है ।
मोहम्मद की बातें मोहम्मद की सीरत,
सुनें और सुनायें ये जी चाहता है ।
मुक़द्दर बनायें ये जी चाहता है ।
मदीने के आका दो आलम के मौला,
तेरे पास आयें ये जी चाहता है ।
जहाँ दोनो आलम हैं महर-ए-तमन्ना,
वहाँ सर झुकायें ये जी चाहता है ।
मोहम्मद की बातें मोहम्मद की सीरत,
सुनें और सुनायें ये जी चाहता है ।
- Chitra Singh.