Jaag Ke Kati Saari Raina Naino Mein Kal Os Giri Thi.
जाग के काटी सारी रैना,
नैनों में कल ओस गिरी थी ।
प्रेम की अग्नि बुझती नहीं है,
बहती नदीया रूकती नहीं है,
सागर तक बहते दो नैना,
जाग के काटी सारी रैना ।
रूह के बँधन खुलते नहीं है,
दाग़ हैं दिल के धुलते नहीं है,
करवट करवट बांटी रैना,
जाग के काटी सारी रैना ।
नैनों में कल ओस गिरी थी ।
प्रेम की अग्नि बुझती नहीं है,
बहती नदीया रूकती नहीं है,
सागर तक बहते दो नैना,
जाग के काटी सारी रैना ।
रूह के बँधन खुलते नहीं है,
दाग़ हैं दिल के धुलते नहीं है,
करवट करवट बांटी रैना,
जाग के काटी सारी रैना ।
- Jagjit Singh.