Din Aa Gaye Shabab Ke Aanchal Sambhaliye Hone Lagi.
दिन आ गये शबाब के आँचल सम्भालिये,
होने लगी है शहर में हलचल सम्भालिये ।
चलिये सम्भल सम्भल के कठीन राह-ए-इश्क़ है,
नाज़ुक बड़ी है आपकी पायल सम्भालिये ।
सज-धज के आप निकले सर-ए-राह ख़ैर हो,
टकरा ना जाए आपका पागल सम्भालिये ।
घर से ना जाओ दूर किसी अजनबी के साथ,
बरसेंगे जोर-शोर से बादल सम्भालिये ।
होने लगी है शहर में हलचल सम्भालिये ।
चलिये सम्भल सम्भल के कठीन राह-ए-इश्क़ है,
नाज़ुक बड़ी है आपकी पायल सम्भालिये ।
सज-धज के आप निकले सर-ए-राह ख़ैर हो,
टकरा ना जाए आपका पागल सम्भालिये ।
घर से ना जाओ दूर किसी अजनबी के साथ,
बरसेंगे जोर-शोर से बादल सम्भालिये ।
- Madanpal.
- Jagjit Singh.