Saare Badan Ka Khoon Paseene Mein Jal Gaya.
सारे बदन का खून पसीने में जल गया,
इतना चले के जिस्म हमारा पिघल गया ।
चलते गिन रहे थे मुसीबत के रात–दिन,
दम लेने हम जो बैठ गये दम निकल गया ।
अच्छा हुआ जो राह में ठोकर लगी हमें,
हम गिर पड़े तो सारा ज़माना सम्भल गया ।
वहशत में कोई साथ हमारा ना दे सका,
दामन कि फ़िक्र की तो गरेबाँ निकल गया ।
इतना चले के जिस्म हमारा पिघल गया ।
चलते गिन रहे थे मुसीबत के रात–दिन,
दम लेने हम जो बैठ गये दम निकल गया ।
अच्छा हुआ जो राह में ठोकर लगी हमें,
हम गिर पड़े तो सारा ज़माना सम्भल गया ।
वहशत में कोई साथ हमारा ना दे सका,
दामन कि फ़िक्र की तो गरेबाँ निकल गया ।
- Mohammad Durrani.
- Chitra Singh.