Baad Muddat Unhein Dekhkar Yun Laga Jaise Betaab.

बाद मुद्दत उन्हें देख कर यूँ लगा, जैसे बेताब दिल को क़रार आ गया,
आरज़ू के गुल मुस्कुराने लगे, जैसे गुलशन में बहार आ गया ।

तिशना नज़रे मिली शोख़ नज़रो से जब, मय बरसने लगी जाम भरने लगे,
साक़ीया आज तेरी ज़रूरत नहीं, बिन ​पिए बिन पिलाए खुमार आ गया ।

रात सोने लगी सुबह होने लगी, शम्मा बुझने लगी दिल मचलने लगे,
व​क्‍़त की रोशनी में नहाई हुई, जि़न्दगी पे अजब सा निखार आ गया ।
  • Ali Sardar Zafri.
  • Chitra - Jagjit Singh.