Huzoor Aapka Bhi Ehtram Karta Chaloon Idhar Se.
हुज़ूर आपका भी एह्तराम करता चलूँ,
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूँ ।
निगाह-ओ-दिल की यही आखिरी तमन्ना है,
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये मे शाम करता चलूँ ।
उन्हें ये ज़िद कि मुझे देखकर किसी को ना देख,
मेरा ये शौक़ कि सबसे कलाम करता चलूँ ।
ये मेरे ख़्वाबों की दुनिया नहीं सही लेकिन,
अब आ गया हूँ तो दो दिन क़याम करता चलूँ ।
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूँ ।
निगाह-ओ-दिल की यही आखिरी तमन्ना है,
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये मे शाम करता चलूँ ।
उन्हें ये ज़िद कि मुझे देखकर किसी को ना देख,
मेरा ये शौक़ कि सबसे कलाम करता चलूँ ।
ये मेरे ख़्वाबों की दुनिया नहीं सही लेकिन,
अब आ गया हूँ तो दो दिन क़याम करता चलूँ ।
- Shadaab Lahori.
- Jagjit Singh.