Aaj Hum Bichade Hain To Kitne Rangeele Ho Gaye. / आज हम बिछड़े हैं तो कितने रंगीले हो गए,
आज हम बिछड़े हैं तो कितने रंगीले हो गए,
मेरी आँखें सूखी तेरे हाथ पीले हो गए ।
कब की पत्थर हो चुकी थी मुंतज़िर आँखें मगर,
छू के जब देखा तो मेरे हाथ गिले हो गए ।
जाने क्या एहसास साज़-ए-हुस्न के तारों में है,
जिनको छूते ही मेरे नग़मे रसीले हो गए ।
अब कोई उम्मीद है 'शाहीद' ना कोई आरज़ू ।
आसरे टूटे तो जीने के वसीले हो गए ।
मेरी आँखें सूखी तेरे हाथ पीले हो गए ।
कब की पत्थर हो चुकी थी मुंतज़िर आँखें मगर,
छू के जब देखा तो मेरे हाथ गिले हो गए ।
जाने क्या एहसास साज़-ए-हुस्न के तारों में है,
जिनको छूते ही मेरे नग़मे रसीले हो गए ।
अब कोई उम्मीद है 'शाहीद' ना कोई आरज़ू ।
आसरे टूटे तो जीने के वसीले हो गए ।
- Jagjit Singh.
- Shahid Kabir.